जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है, वह सदा अच्छे कार्य में, लगा रहता है। B. R. Ambedkar
आप इतने छोटे बनिये कि, हर व्यक्ति आप के साथ बैठ सके,और आप , इतने बड़े बनिये कि, जब आप खड़े हो तो कोई, बैठा ना रहे ।
परमात्मा व्यक्ति नहीं है उसका, साक्षात्कार नहीं हो सकता, परमात्मा शक्ति है लेकिन शक्ति, भी पढार्थगत नहीं है आत्म गत है, इसलिए उसका पहला अनुभव, स्वयं में प्रवेश पर ही होता है। OSHO
ईमानदार व्यक्ति ना चाहते हुए भी, प्रसिद्ध हो जाता है।
अपने निंदा सहने की शक्ति रखने, वाला व्यक्ति मानो विश्व पर, विजय पा लेता है।
दया व्यक्ति का, स्वाभाविक गुण है। Premchand
चलते ,खड़े, बैठते अथवा सोते हुए, जो व्यक्ति मन को शांत रखता है, वह निश्चित ही शांति को प्राप्त हो जाता है। Lord Buddha
'कुल्टा पत्नी धोखेबाज मित्र जवाब देने, वाला नौकर और घर में सर्प रखने वाला, व्यक्ति मृत्यु के साथ रहता है। Chankya '
प्रशंसा से बचें यह आपके व्यक्तित्व, की अच्छाइयों को घुन की, तरह चाट जाती है | Chankya
कोई भी दो व्यक्ति एक से नहीं हो, सकते आप लोगों की तुलना नहीं कर सकते, आप बस बराबर अवसर दे सकते हैं।
किसी से अटैच होना दुसरे व्यक्ति के बारे में नहीं है, ये आपकी अपनी अपर्याप्तता के बारे में है।
एक कामयाब व्यक्ति के होंठो पर , हमेशा चुप्पी और मुस्कुराहट होती हैं I Mark Zuckerberg
सकरात्मक सोच से व्यक्ति , सदा तनाव से , मुक्त होकर प्रसन्नचित रहता है I BK SHIVANI
जितना एक मूर्ख व्यक्ति किसी बुद्धिमानी भरे उत्तर से नहीं सीख सकता उससे अधिक एक बुद्धिमान एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न से सीख सकता है। Bruce Lee
जब तक कोई व्यक्ति सत्य , नहीं बोलता वो परमेश्वर को , नहीं पा सकता जो की , सत्य की आत्मा हैं। Swami Paramhans
एक सांसारिक व्यक्ति जो , पूरी ईमानदारी से , ईश्वर के प्रति समर्पित नहीं है , उसे अपने जीवन में ईश्वर से , भी कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिये। Swami Paramhans
श्रेष्ठ व्यक्ति हमेशा, धर्माचरण का सोचता है, आम आदमी आराम, की सोचता है। Confucius
हर व्यक्ति जो चाहे , प्राप्त कर सकता हैं , बस उसकी उचित, कीमत चुकानी होगी I Smarat Ashoka
हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति , के अनुसार होता है I Shrimad Bhagwad Gita
व्यक्ति जो चाहे बन सकता है , यदी वह विश्वास के साथ , इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे I Shrimad Bhagwad Gita
' ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को , एक रूप में देखता है , वही सही मायने में देखता है I Shrimad Bhagwad Gita '
क्रोध से भ्रम पैदा होता है , भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है , तब तर्क नष्ट हो जाता है , जब तर्क नष्ट होता है , तब व्यक्ति का पतन हो जाता है I Shrimad Bhagwad Gita
धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के , लिए दूसरों की सेवा करते हैं। Chanakya
पूंजीवादी समाज में , पूँजी स्वतंत्र और व्यक्तिगत है , जबकि जीवित व्यक्ति आश्रित है , और उसकी कोई वैयक्तिकता नहीं है | KARL MARX
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.